बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना भारत सरकार द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से शुरू की गई योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य लड़कियों के जन्म और अस्तित्व को सुनिश्चित कर कर लैंगिक समानता बढ़ाना .उनके शिक्षा को प्रोत्साहित करना तथा बालिकाओं के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करना है इस योजना को महिला और बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित किया जाता है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का लाभ यह है कि इस लड़कियों के जन्म दर को बढ़ावा दिया गया है. इस योजना को केंद्र व राज्य सरकार दोनों के सहायता द्वारा चलाया जाता है
इस योजना की आवश्यकता इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि भारत में लड़कियों का लिंगानुपात तेजी से घट रहा था 2011 के जनगणना के अनुसार 6 वर्ष की आयु तक के लड़कियों का लिंगानुपात 919 था .
- लड़कियों के जन्म दर को बढ़ावा देना:-समाज में लड़कियों के जन्म दर संख्या को बढ़ाना तथा लिंगानुपात में सुधार लाना इसका मुख्य उद्देश्य है
- शिक्षा को बढ़ावा देना:-जब लड़की पड़ी-लिखी शिक्षित हो जाएगी तो वह और सशक्त होगी, अर्थात शिक्षा के थ्रू लड़कियों को शासक बनना
- लैंगिक समानता को बढ़ावा देना:-समाज में लड़का लड़की में भेद न करने को बढ़ावा देना
- सुरक्षा और शक्ति करण प्रदान करना:= समाज में लड़कियों के प्रति हो रहे अत्याचार अथवा भेदभाव को रोकना तथा लड़कियों को शक्ति प्रदान करना
- समाज में लड़कियों के प्रति जो गलत दृष्टिकोण है उसे बदलना:-समाज में जो गलत विचार है कि लड़के ही वंश को आगे बढ़ते हैं बेटी को तो दूसरे घर जाना है बेटी पढ़ लिख लेगी तो क्या करेगी बेटा रहेगा तो मेरा बुढापा संभालेगा जैसी सिर्फ अपने बारे में सोने वाले लोगों की सोच में बदलाव लाना
योजना के मुख्य घटक
- जागरूकता एवं प्रचार को बढ़ावा देना:-इसके लिए सरकार एडवर्टाइजमेंट पर ज्यादा फोकस करती है मीडिया के द्वारा कैंपेन चलाया जाता है ,रेलिया चलाई जाती है ,गर्ल एंपावरमेंट प्रोग्राम चलाया जाता है बड़े-बड़े कंपनियों द्वारा स्कूलों कॉलेज और ग्रामीण क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक कराया जाता है
- लिंगानुपात में सुधार लाना:- PCPNDT अर्थात गर्भाधान से पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम को शक्ति से लागू करना
- सुरक्षा एवं संरक्षण:- लड़कियों के खिलाफ हो रहे हिंसा को खत्म करने के लिए सख्त कानून बनाए गए नीतियां बनाए गए, बालिका के लिए एक सुरक्षा वातावरण तैयार किया गया, ऑन बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसे कुप्रथाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए.
- शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर ध्यान देना:-स्कूलों में लड़कियों को छात्रवृत्ति प्रदान करना, लड़कियों के लिए अलग शौचालय का व्यवधान होना खेल मैदान लाइब्रेरी जैसी उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा उनका स्वास्थ्य एवं पोषण का संपूर्ण ख्याल रखना इत्यादि इस योजना का मुख्य घटक है
योजना काकार्यान्वयन
केंद्र एवं राज्य सरकार का सहयोग द्वारा | केंद्र और राज्य सरकारों के सहकारी सहयोग से इस योजना को चलाने में मदद मिलती है क्योंकि जब तक राज्य सरकार का सहयोग केंद्र को नहीं होगा तो व्यापक स्तर पर इस योजना को चलाना कठिन होगा |
नोडल मंत्रालय द्वारा | महिला और बाल विकास मंत्रालय(MWCD) द्वारा इस योजना को चलाया जाता है तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MOHFW) और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD)इसका सहायक मंत्रालय के रूप में काम करती हैं |
जिला द्वारा कार्यान्वयन | जिला में कलेक्टर/डिप्टी कलेक्टर योजना के नोडल अधिकारी होते हैं जिसमें जिला स्तरीय योजना का क्रियान्वयनऔर निगरानी का कार्य किए जाते हैं |
ग्राम पंचायत और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा कार्यान्वयन | आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है ग्राम पंचायत इस बात का खास ख्याल रखती है की बालिकाओं के जन्म के समय पंजीकरण ,आंगनवाड़ी में उनकी उपस्थिति दर्ज हो |
स्कूल चलो अभियान | बालिकाओं को स्कूल भेजने के लिए तरह-तरह के स्कीम चलाई जाते हैं तो उनको शिक्षा का प्रोत्साहन मिल सके नुक्कड़ नाटक के द्वारा गांव वासियों को जागरूक किया जाता है |
महिला हेल्पलाइन नंबर | महिला हेल्प लाइन नंबर पंचायत स्तर पर किया जाता है जिससे अगर लड़कियों को कोई प्रताड़ित कर रहा है तो वह अपना कंप्लेंट हेल्पलाइन नंबर पर कर सकती है |
बेटी जन्मोत्सव | बेटी जन्मोत्सव का कार्यक्रम पंचायत स्तर पर जिला स्तर पर तथा केंद्रीय स्तर पर किया जाता है परिवार में लोग खुद भी अपने पारिवारिक स्तर पर बेटी जन्मोत्सव का उत्सव मनाते हैं जिससे उनके घर में तथा आसपास में बेटी के महत्व को समझा जा सके |
चुनौतियां एवं समाधान:-
- चुनौतियां:-गांव गांव तक दूरदराज तक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को पहुंचाना, सांस्कृतिक एवं सामाजिक बढ़ाएं , योजना को सही तरीके से पंचायत स्तर पर जिला स्तर पर तथा केंद्र स्तर पर लागू न हो पाना.
- समाधान:- इसके लिए जागरूकता अभियान और तेजी से चलाया जाए इसको और विस्तारण किया जाए , स्थानीय समुदाय एवं संगठनों का एक साथ सहयोग हो, निगरानी एवं मूल्यांकन प्रणाली को मजबूत बनाया जाए
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी कुछ अन्य योजना
- लाड़ली लक्ष्मी योजना लाड़ली लक्ष्मी योजना:–मध्य प्रदेश द्वारा शुरू की गई योजना , जिसमें जन्म से लेकर विवाह तक के समय-समय पर एक राशि प्रदान की जाती है जिससे कि उसकी पढ़ाई लिखाई तथा शादी अच्छे से हो सके
- तेजस्विनी योजना:- यह योजना झारखंड के 17 से अधिक जिलों में लागू है
- प्रोजेक्ट गरिमा:-इसके लिए महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध ,बलात्कार ,हिंसा जैसे घटना को रोकने के लिए सरकार द्वारा सख्त कदम उठाए गए जिसमें एक उदाहरण यह है कि ‘आपका स्त्री के प्रति कैसा नजरिया है ‘इसका टेस्ट लिया जाएगा अगर आप भारतीय सेना में भर्ती होना चाहते हैं
- कन्याश्री प्रकल्पा योजना:-पश्चिम बंगाल द्वारा शुरू किया गया योजना
- धन लक्ष्मी योजना:- इसमें जन्म के पंजीकरण पर ₹5000, विद्यालय में नामांकन पर ₹1000 तथा पढ़ाई जारी रखने हेतु 6250 तक राशि दिया जाता है
- एकीकृत बाल विकास योजना:-0 से 6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए ,गर्भवती महिला के पोषण को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया
- उज्ज्वला योजना:-2007 में प्रारंभ किया गया था जिसमें महिलाओं की खरीद फरोक को रोकथाम व्यावसायिक एवं शोषण के शिकार महिलाओं का उद्धार करना था.
- सुकन्या समृद्धि योजना:-गर्भवती व स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए एक विशेष राशि उपलब्ध कराई जाती है आंगनबाड़ी के द्वारा.
- राजीव गांधी किशोरी सशक्तीकरण योजना :-2010 में केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई योजना जिसमें 11 से 18 वर्ष के के स्कूल को न जाने वाली बालिकाओं को ध्यान रखा गया तथा 16 से 18 वर्ष के लड़कियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा का भी प्रावधान किया गया.
- आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरक साप्ताहिक कार्यक्रम:-इस कार्यक्रम के तहत फोलिक एसिड की गोलियां विकृत की गई जिससे उनकी पौष्टिकता बढ़ सके. सोने की शुरुआत 2013 में की गया था जिसका देखभाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा किया जाता है
- इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना:-गर्भवती व स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए एक विशेष राशि उपलब्ध कराई जाती है आंगनबाड़ी के द्वारा.