Basics of Environment,Adverse effect of environmental pollution and control strategies; Air, water and Noise pollution.

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प्रदूषण (Pollution) किसी भी प्राकृतिक संसाधन, जैसे वायु, जल, या मिट्टी, की गुणवत्ता में गिरावट को संदर्भित करता है, जो मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न हानिकारक पदार्थों या ऊर्जा के कारण होती है। जब ये हानिकारक तत्व प्राकृतिक संसाधनों (natural resources) में मिल जाते हैं और उनके स्वाभाविक संतुलन (natural balance) की बिगाड़ देते हैं, तो यह प्रदूषण कहलाता है।तो चलिए जानते हैं Basics of Environment,Adverse effect of environmental pollution and control strategies; Air, water and Noise pollution.के बारे में विस्तार से।

Adverse Effects of Environmental Pollution(पर्यावरणीय प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव)

  1. स्वास्थ्य पर प्रभाव(effect on health):-
    • प्रदूषण मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जैसे श्वसन समस्याएँ, हृदय रोग, कैंसर, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ।जिससे निपटना आज अतयंत ही मुश्किल होता जा रहा है। वो वो गर्मी का मौषम हो या ठंढी का या बरसात का ,हर मौषम में अलग अलग बीमारियां फ़ैल रहीं है जिससे हमारा शरीर लड़ने में हमेशा सक्षम नहीं रह पता.हम बीमार हो जाते है और हमें होस्पिटलिज़्ड तक होना पद जाता है
  2. पर्यावरण पर प्रभाव(effect on environment):
    • प्रदूषण प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है, जैसे जलवायु परिवर्तन, वनस्पति और वन्यजीवों की हानि, और पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन।
  3. आर्थिक प्रभाव) effect on Economy):
    • प्रदूषण के कारण आर्थिक नुकसान होता है, जैसे स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत, कृषि और मछली पालन में कमी, और बुनियादी ढाँचा की क्षति।
  1. प्राकृतिक पर्यावरण: इसमें भूमि, जल, वायु और पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं जो प्राकृतिक पर्यावरण का उदाहरण है
  2. निर्मित पर्यावरण: इसमें मानव निर्मित संरचनाएं और प्रणालियां शामिल हैं, जैसे इमारतें और शहरी बुनियादी ढांचे जिनमें सड़क बांध, टावर और ये सभी चीजें शामिल हैं

Adverse Effects of Environmental Pollution and Control Strategies

पर्यावरणीय प्रदूषण (Environmental Pollution) का विवरण:

प्रदूषण के प्रकार:

  1. वायु प्रदूषण (Air Pollution): हम श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए वायु पर निर्भर करते हैं. वायु प्रदूषण सभी जीवो को छाती पहुंच रहे हैं वह फसल के वृद्धि एवं उत्पादन काम करते हैं जिससे पौधे बिना पके ही मर जाते हैं वायु प्रदूषण मनुष्य पशु तथा अन्य जीवों के श्वसन तंत्र पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं यह हानिकारक प्रभाव प्रदूषण पदार्थ की सांद्रता अन्य कंसंट्रेशन यानी उसकी मात्रा पर निर्भर करता है
  • स्रोत (Sources):
    • औद्योगिक उत्सर्जन(industrial emission): कारखानों और बिजली घरों से गैसें जैसे सल्फर डाइऑक्साइड(Sulphur dioxide), (SO₂) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO₂) हमारे वायुमंडल को पूरी तरह से बर्बाद कर रहे हैं जिसका असर हमारे शरीर के फेफड़ों पर साफ-साफ देखा जा सकता है, इंडस्ट्रियल एमिशन का सबसे बड़ा इंपैक्ट ओजोन लेयर का अच्छा होना है
    • वाहन उत्सर्जन(vehicle mission): कारों, ट्रकों और बसों से निकलने वाली हानिकारक गैसें। आज बढ़ते जनसंख्या के साथ ट्रांसपोर्टेशन एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है मनुष्य को तथा उनके सामानों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए तथा ट्रांसपोर्टेशन का आज भी एक बड़ा हिस्सा रोड ट्रांसपोर्टेशन ,रेल ट्रांसपोर्टेशन बायो ट्रांसपोर्टेशन इत्यादि इंसान जीवाश्म ईंधन पर चलते हैं और इनसे निकलने वाला धुआं खतरनाक होता है जो वायुमंडल के लिए, हमारे ओजोन परत के लिए, तथा हमारे फेफड़ों के लिए गंभीर रूप से हानि पहुंचाने का काम करता है
    • कृषि(agriculture): कृषि कार्यों से मिथेन (CH₄) और अमोनिया (NH₃) उत्सर्जन। एग्रीकल्चरल वेस्ट के रूप में कृषि कार्य से निकलने वाला मेथेन और अमोनिया भी हमारे वायुमंडल को नुकसान पहुंचा रहे हैं जिसमें मुख्यतः मिथुन है मिथुन तब बनता है जब कृषि अपशिष्ट गल जाते हैं तो उनसे एक गैस निकलते हैं जोकि मिथेन होता है
  • प्रभाव (Effects):
    • स्वास्थ्य पर प्रभाव effect on health): श्वसन समस्याएं, हृदय रोग, कॉलरा, हेपेटाइटिस। और कैंसर इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख को प्रभाव है जिनका इलाज साधारण ट्रीटमेंट के बदौलत नहीं किया जा सकता यह रोग गंभीर होते हैं तथा लंबे समय तक चलते हैं
    • पर्यावरणीय प्रभाव(effect on environments ): पेड़ों और फसलों को नुकसान, और जलवायु परिवर्तन। एनवायरनमेंट पर इसका बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव( पड़ता है क्योंकि इससे पेड़ों फसलों के नुकसान के साथ-साथ हमारे वायुमंडल में कह रहे हैं गुड बैक्टीरिया जैसे पोषक तत्व हमारे शरीर व पेड़ों में फसलों के लिए आवश्यक होते हैं नष्ट हो जाते हैं
  • नियंत्रण उपाय (Control Measures):
    • प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकी(pollution control Technology): जैसे स्क्रबर और कैटेलिटिक कन्वर्टर।
    • स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग(use of pure energy): नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना।

जल प्रदूषण (Water Pollution):-

जल को दूषित होना ही जल प्रदूषण कहलाता है इन सभी जानते हैं कि आज स्वच्छ जल मिलना कितना मुश्किल है आज पूरे विश्व का पानी लगभग पूरी तरह सेदूषित हो चुके हैं जिसका मुख्य कारण है कल कारखानों से निकलने वाले नल का पानी तथा घरेलू वाहित मल

  • जल प्रदूषण (Water Pollution) का स्वास्थ्य पर प्रभाव: पानी से होनेवाली बीमारियाँ जैसे कॉलरा, हेपेटाइटिस।
  • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: जलजीवों की मृत्यु और पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन।
  • स्रोत (Sources):
    • औद्योगिक अपशिष्ट(Industrial waste): कारखानों से विषैले रसायन।
    • कृषि अपशिष्ट(agriculture West): कीटनाशक और उर्वरक जो नदियों और झीलों में बह जाते हैं।
    • घरेलू अपशिष्ट(domestic waste): नालियों से निकलने वाला गंदा पानी।
  • नियंत्रण उपाय (Control Measures):
    • जल उपचार प्रक्रियाएँ(process of water treatment): प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक उपचार।
    • जल पुनर्चक्रण(recycling of water): अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution):

ध्वनि प्रदूषण उस अवांछनीय और अनावश्यक ध्वनि को संदर्भित करता है जो सामान्य जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यह ध्वनि स्तर की अत्यधिक वृद्धि के कारण उत्पन्न होता है जो प्राकृतिक या कृत्रिम स्रोतों से हो सकता है।

  • स्रोत (Sources):
    • यातायात(transportation): वाहनों और विमानों की ध्वनि से निकलने वाली ध्वनि हमारे कानों के लिए अत्यंत है हानिकारक होते हैं इसे हमारे कानों को करते फैट सकते हैं हमारे सुनने की क्षमता कम हो जाती है
    • औद्योगिक गतिविधियाँ(industrial activities): निर्माण और फैक्ट्री मशीनों से ध्वनि इंडस्ट्रियल एक्टिविटी से निकलने वाले ध्वनि ट्रांसपोर्टेशन से भी कहीं अधिक होती है जिसका प्रतिकूल प्रभाव वहां काम कर रहे वर्कर्स या एंप्लॉई को होता है
    • शहरी गतिविधियाँ(urban activities): शोरगुल और संगीत अर्बन एक्टिविटी करण साउंड पॉल्यूशन बढ़ता है जिससे लोगों में शक्ति में कमी आती है लोगों में गुस्सा और चिड़चिड़ापन आता है
  • प्रभाव (Effects):
    • स्वास्थ्य पर प्रभाव: सुनने की क्षमता में कमी, तनाव और नींद की समस्याएँ, लोगों में चिड़चिड़ापन का आना गुस्सा आना
    • पारिस्थितिकी पर प्रभाव(
      impact on ecology
      ): जानवरों की व्यवहारिक आदतें प्रभावित होती हैं
  • नियंत्रण उपाय (Control Measures):
    • ध्वनि बाधाएँ: शोर को कम करने के लिए दीवारें और पेड़ लगाना, ऐसे टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग करना जो कम शोर करता हो
    • ध्वनि मानक: स्थानीय ध्वनि मानक लागू करना। हो जिससे कि लोगों में इसका डर हो लोग इसका आदत बनाएं कि वह काम धनी ही सुनेंगे यह उत्पन्न करेंगे

Environmental Pollution के अन्य महत्वपूर्ण प्रदूषण मुद्दे:

  1. कचरा प्रबंधन (Waste Management): एक समृद्ध व शक्तिशाली मानव प्रजाति के लिए कचरा प्रबंधन आज के दिन सबसे कठिन कार्य होते जा रहा है अगर यह ऐसा ही चला रहा तो वह दिन दूर नहीं जब मनुष्य को एक एक क्षण गुजरना मुश्किल हो जायेगा
  • उपाय (Measures):
    • पुनर्चक्रण (recycling): अपशिष्ट का पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग। जिसमें से प्रमुख रूप से है रीसाइकलिंग आफ वॉटर, रीसाइकलिंग का प्लास्टिक, रीसाइक्लिंग ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स
    • संवेदनशीलता(sensitivity): लोगों को कचरा प्रबंधन के महत्व के बारे में जागरूक करना। लोगों को जागरूक करना कि वह गीला कचरा हुआ सूखा कचरा को अलग-अलग फेके।

वैश्विक तापमान में वृद्धि (Global Warming)

  1. वैश्विक तापन (Global Warming):वैश्विक तापन पृथ्वी की सतह पर औसत तापमान के लगातार बढ़ने की प्रक्रिया है, जो मुख्यतः मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के कारण होती है। इसमें ग्रीनहाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), मीथेन (CH₄), और नाइट्रस ऑक्साइड्स (N₂O) वायुमंडल में जमा हो जाती हैं और सूर्य की गर्मी को पृथ्वी की सतह पर फँसा देती हैं।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂): ईंधन जलाने (कोयला, तेल, गैस), उद्योगों, और वनों की कटाई से उत्पन्न होती है।
  3. मीथेन (CH₄): कृषि (विशेषकर पशुधन), खाद्य अपशिष्ट, और प्राकृतिक गैस के उत्सर्जन से उत्पन्न होती है।
  4. नाइट्रस ऑक्साइड्स (N₂O): उर्वरकों के उपयोग और औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती है।
  5. भूमि उपयोग परिवर्तन ,वनों की कटाई: वनों की कटाई से CO₂ के प्राकृतिक अवशोषण की क्षमता कम हो जाती है और वायुमंडल में CO₂ की मात्रा बढ़ जाती है।
  6. विनिर्माण और ऊर्जा उत्पादन: उद्योगों से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसें तापमान को बढ़ाती हैं।
  7. फॉसिल ईंधन: कोयला, तेल, और गैस का जलना CO₂ और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है।
  • प्रभाव (Effects):
    • जलवायु परिवर्तन(climate change): अधिक गर्मी, बर्फ का पिघलना और समुद्र स्तर का बढ़ना।
    • पर्यावरणीय प्रभाव: पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन और प्राकृतिक आपदाएँ।
  • नियंत्रण उपाय (Control Measures):
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग।
    • वनरोपण(plantation): अधिक पेड़ लगाना और वन संरक्षण।

अम्लीय वर्षा (Acid Rain):-

  1. अम्लीय वर्षा (Acid Rain):अम्लीय वर्षा (Acid Rain) उस वर्षा को कहते हैं जिसमें सामान्य से अधिक अम्लीयता होती है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब वायु में मौजूद हानिकारक गैसें, जैसे सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOx), वायुमंडल में पानी के साथ मिल जाती हैं और अम्लीय यौगिकों का निर्माण करती हैं। इन अम्लीय यौगिकों के कारण वर्षा, बर्फ, या धुंध अम्लीय हो जाती है, जिसे अम्लीय वर्षा कहते हैं।
  • स्रोत (Sources):
    • वायु प्रदूषण (Air Pollution):
    • सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂): कोयला, तेल, और अन्य फॉसिल ईंधन के जलने से उत्पन्न होता है। यह वायु में सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄) के रूप में बदल जाता है।
    • नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOx): वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन से उत्पन्न होते हैं और वायु में नाइट्रस एसिड (HNO₃) का निर्माण करते हैं।
  • प्रभाव (Effects):
    • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: वन, जल स्रोत, और निर्माण सामग्री पर क्षति।
  • नियंत्रण उपाय (Control Measures):
    • विकासशील प्रदूषण नियंत्रण तकनीक(pollution control Technology like developed country): जैसे उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले उपकरण का उपयोग कर हमलोग पॉलुशन को एक ठीक से कण्ट्रोल कर सकते हैं
  1. ओज़ोन परत का क्षय (Ozone Depletion): Ozone Depletion हमारी पृथ्वी के ऊपर एक परत होती है जिसका नाम ओजोन परत है ओजोन परत है इस परत का समाप्त होना या क्षय होना ही ओजोन पर क्षय कहलाता है
  • स्रोत (Sources):
    • क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) और हैलोन: क्लोरोफॉर्म का कार्बन के कारण हमारे वायुमंडल(atmosphere) आते हैं बहुत ही तेजी से छह हो रही है जिसका प्रमुख इफेक्ट या नुकसान हमारे धरती तक पराबैंगनी किरणों का डायरेक्ट पहुंचना है जिसे पहले ओजोन लेयर रोक कर रखता था रेफ्रिजरेशन और अग्निशामक में उपयोग।
  • प्रभाव (Effects):
    • UV विकिरण(पराबैंगनी विकिरण ) : पराबैंगनी करने का हमारे शरीर के त्वचा पर भयानक प्रभाव पड़ता है त्वचा कैंसर और आंखों की समस्याएँ।
  • नियंत्रण उपाय (Control Measures):
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: ओज़ोन-क्षीणकारी पदार्थों के उपयोग को प्रतिबंधित करना।(मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसे ओज़ोन परत के क्षय को रोकने और उसे सुधारने के लिए लागू किया गया। इसे 1987 में मॉन्ट्रियल, कनाडा में आयोजित एक सम्मेलन में अपनाया गया था।)

Basics of Environment,Adverse effect of environmental pollution and control strategies; Air, water and Noise pollution.

निष्कर्ष (conclusion):-दोस्तों हमने इस आर्टिकल के द्वारा जाने का प्रयास किया कि इन प्रदूषण समस्याओं से निपटने के लिए एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें सरकारी नीतियाँ, तकनीकी उपाय, और व्यक्तिगत जिम्मेदारी शामिल हैं। पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

इसमें हमने यह भी जाना की वायु प्रदूषण ,जल प्रदूषण ,ध्वनि प्रदूषण तथा अम्लोये वर्षा क्या है, ओजोन परत की छह क्या है उसका कारण क्या है

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