दोस्तों यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस की मंजूरी केंद्र सरकार ने दे दी है जिसके अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे। यूनिफाइड पेंशन स्कीम 01 अप्रैल 2025 से लागू होगा नीचे हम इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे कि यूपीएस है क्या ,क्या यूपीएस पुराने पेंशन स्कीम की तरह है जिसमें रिटायरमेंट के बाद भी हमेशा पैसे मिलते रहते थे, कि जिस तरह से रिटायरमेंट के बाद अगर पेंशनधारी की मृत्यु हो जाती थी तो उसके पत्नी या स्पाउस को पेंशन मिलते रहता था क्या यूपीएस में भी ऐसा होगा इन्हीं सबके बारे में हम विस्तार से जानेंगे
UPS यानि यूनिफाइड पेंशन स्कीम 2024 क्या है:-
यूनिफाइड पेंशन स्कीम, एनपीएस के तरह ही पेंशन स्कीम है जिसमें एनपीएस से ज्यादा मुनाफा पेंशनधारियों को होगा अगर हम यूनिफाइड पेंशन स्कीम की बात करें तो यह 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। यूनिफाइड पेंशन स्कीम एनपीएस के तर्ज पर ही बनाया गया है लेकिन इसमें कुछ-कुछ सुविधा पुराने पेंशन स्कीम जैसे दी गई है इसके मुख्यतः 5 से 6 बिंदु हैं जो हमने नीचे बताया है
NPS पेंशनधारी भी UPS के लिए कर सकेंगे अप्लाई का मुख्य बिंदु :-
- सुनिश्चित पेंशन :- अगर आपने न्यूनतम 25 वर्ष तक नौकरी किया है तो आपको जो पेंशन मिलेगी वह होगी रिटायरमेंट से पहले 1 साल अर्थात 12 महीने के बेसिक के एवरेज का 50% तथा अगर अपने जॉब किया है 10 से 25 वर्ष के बिच में तो आपको उसी अनुपात से पेंशन दिया जायेगा अर्थात अपने ज्यादा समय तक सेवा दिया है तो आपको कज्यादा पेंसन मिलेगा
- सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन मिलेगी :- इसमें पेंशनधारी की मृत्यु के ठीक पहले की पेंशन का 60% उसके स्पाउस या वाइफ/पत्नी को दिया जाएगा।
- सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन दी जाएगी :- अगर आपने 10 वर्ष या उससे कम की सेवा दी है तो आपको ₹10000 प्लस DR (डेरनेस रिलीफ **DR ,DA ही जिसे रिटायरमेंट के बाद DR नाम दिया गया है )को मिलाकर हर महीने दिया जाएगा
- महंगाई सूचकांक :-औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीई-आईडब्ल्यू) के आधार पर महंगाई भत्ता , सेवा कर्मचारियों के मामले में सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान(लम्प सम्प राशि ), ग्रेच्युटी के अतिरिक्त, सेवानिवृत्ति की तिथि पर मासिक परिलब्धियों (वेतन + डीए) का 1/10वां हिस्सा, सेवा के प्रत्येक पूर्ण छह महीने के लिए, इस भुगतान से सुनिश्चित पेंशन की मात्रा कम नहीं होगी।
आइए टेबल के माध्यम से NPS और UPS के बीच अंतर को समझते है:-
महत्वपूर्ण बिंदु | NPS | UPS |
पेंशन कितना मिलेगा | पेंशन राशि आपके योगदान में शेयर मार्केट के रिटर्न पर निर्भर करता है | सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में औसत मूल वेतन का 50%, 10+ वर्षों के लिए न्यूनतम ₹10,000 के साथ |
परिवार पेंशन | सेवानिवृत्ति के समय संचित कोष और वार्षिकी योजना पर निर्भर करता है। | कर्मचारी के देहांत के पश्चात कर्मचारी के डिपेंडेंट को मिलने वाली राशि , पेंशन का 60% होगा। |
कर्मचारी द्वारा दे राशि | कर्मचारी के बेसिक का 10% राशि | कर्मचारी के बेसिक का 10% बेसिक राशि |
सरकारी द्वारा दे राशि | सरकार 14% बेसिक राशि | 18.5% बेसिक राशि |
महंगाई भाता | NPS में सीधे तौर पर महंगाई भाता नहीं मिलता है | महंगाई भाता बेसिक वेतन का 50% पर दिया जायेगा |
UPS के बारे में यह भी जानें :-
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme) भारत सरकार की एक योजना है जो सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए बनाई गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को एक व्यवस्थित और सुरक्षित पेंशन प्रदान करना है। यहाँ इस स्कीम के कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:
- लक्ष्य: इस योजना का उद्देश्य विभिन्न पेंशन योजनाओं को एकीकृत करना और एक सार्वभौम पेंशन प्रणाली की स्थापना करना है जिससे सभी सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को एक समान लाभ मिल सके।
- सहयोग: यह योजना केंद्रीय और राज्य सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज, और कुछ अन्य सार्वजनिक संस्थानों के कर्मचारियों के लिए लागू होती है।
- पेंशन योगदान: कर्मचारी और नियोक्ता दोनों नियमित योगदान करते हैं, जो एक पेंशन फंड में जमा होता है। इस फंड का उपयोग भविष्य में पेंशन के रूप में कर्मचारी को लाभ देने के लिए किया जाता है।
- वेतन आधारित पेंशन: कर्मचारी की पेंशन राशि उनके वेतन और योगदान के आधार पर निर्धारित होती है।
- पेंशन भुगतान: जब कर्मचारी रिटायर होता है, तो उसे नियमित पेंशन भुगतान शुरू होता है जो जीवन भर जारी रहता है।
- विविधता: इस योजना के अंतर्गत पेंशन के लिए विभिन्न विकल्प उपलब्ध होते हैं, जैसे कि पारिवारिक पेंशन, नॉमिनी पेंशन आदि।
यदि आपके पास इस योजना के बारे में कोई विशिष्ट प्रश्न है या आपको अधिक जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं! ऑफिशल वेबसाइट पर जाने के लिए :- क्लिक हेअर
इसे भी पढ़ें :-
भारत में भूमि और संपत्ति से संबंधित विभिन्न कानूनी दस्तावेज़ और संख्याएँ महत्वपूर्ण होती हैं, खासकर जब किसी संपत्ति का लेन-देन, खरीद-फरोख्त, या अन्य कानूनी कार्यवाही की जाती है। निम्नलिखित विवरण इन मुख्य दस्तावेज़ों और संख्याओं के बारे में हैं:
1. खाता संख्या (Account Number):-
यह संख्या भूमि रिकॉर्ड में एक विशेष भूमि खाता की पहचान के लिए उपयोग की जाती है। यह भूमि के मालिक का खाता नंबर होता है, जिसे स्थानीय पटवारी या राजस्व अधिकारी द्वारा असाइन किया जाता है। यह संख्या भूमि के लेन-देन, काश्त, और कर संबंधित गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद करती है।
2. खेसरा संख्या (Khasra Number):-
खेसरा संख्या एक भूमि के विशेष हिस्से की पहचान के लिए उपयोग की जाती है। यह संख्या जमीन के अलग-अलग हिस्सों (प्लॉट्स) को ट्रैक करने के लिए होती है और इसे आमतौर पर भूमि रिकॉर्ड (जैसे कि खेत या कृषि भूमि) में दिया जाता है। यह संख्या भूमि के खसरा या काश्त रिकॉर्ड में शामिल होती है और विभिन्न भूमि परिक्षेत्रों को विशेष रूप से पहचानने में मदद करती है।
3. खतियान (Khatian):-
खतियान एक प्रकार का दस्तावेज़ या रिकॉर्ड है जो एक भूमि के मालिकाना हक और अन्य विवरणों को दर्शाता है। इसमें भूमि के मालिक, उनके द्वारा भूमि के उपयोग, और अन्य संबंधित विवरण शामिल होते हैं। खतियान भूमि रिकॉर्ड की महत्वपूर्ण जानकारी का संग्रह होता है और यह भूमि के स्वामित्व को प्रमाणित करने में उपयोगी होता है।
4. रजिस्टर डीड केवाला (Registered Deed Kewala):-
रजिस्टर डीड केवाला एक कानूनी दस्तावेज़ है जो संपत्ति के ट्रांसफर को प्रमाणित करता है। यह दस्तावेज़ आमतौर पर एक नॉटरी द्वारा प्रमाणित होता है और इसे भूमि रजिस्टर कार्यालय में रजिस्टर किया जाता है। रजिस्टर डीड केवाला भूमि की बिक्री, खरीदी, या अन्य प्रकार के ट्रांसफर के कानूनी प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
5. रकवा संख्या (Rakwa Number):-
रकवा संख्या भूमि के क्षेत्रफल को दर्शाने वाली संख्या है। यह भूमि की माप और सीमा को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग की जाती है। रकवा संख्या यह बताती है कि कितने एकड़ या बीघा में भूमि फैली हुई है और यह भूमि के आकलन और विभाजन में मदद करती है।
संक्षेप में:
- खाता संख्या: भूमि खाता की पहचान।
- खेसरा संख्या: भूमि के विशेष हिस्से की पहचान।
- खतियान: भूमि के स्वामित्व और विवरण का रिकॉर्ड।
- रजिस्टर डीड केवाला: संपत्ति ट्रांसफर का कानूनी प्रमाण।
- रकवा संख्या: भूमि के क्षेत्रफल की पहचान।
इन दस्तावेज़ों और संख्याओं का सही और अद्यतित होना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर जब किसी संपत्ति से संबंधित कानूनी कार्यवाही की जाती है।